कितनी गिरह खोली है मैंने, कितनी गिरह अब बाकी hai
पांव में पायल, बाहों में कंगन, गले में हंसली, कमरबंद छले और bichuye
Naak कान chhidwaye गए और जेवर जेवर कहते कहते रीत रिवाज की रस्सियों से मै जकड़ी gayee
Kitni तरह मै पकड़ी गयी
अब छिलने लगे है haath पांव और कितनी खराशे उभरी hai
Kitni गिरह खोली है मैंने, कितनी रस्सिया उतारी है
अंग अंग मेरा रूप रंग ,मेरे नक्स नयन मेरे बोल bain meri आवाज में कोयल की तारीफ huyee
meri जुल्फ सांप, मेरी जुल्फ रात , आँखे शराब , gajle और नसले कहते कहते मै हुस्न और ishq ke अफसानो में जकड़ी गयी ,
उफ़ कितनी तरह मै पकड़ी गयी
मै पूंछू जरा , आँखों में शराब दिखे सबको आकास नही देखा koi saawan भांदो तो दिखे मगर क्या दर्द नही देखा koi fan की झीनी से चादर में बुत छील गए उरियानी ki taga तागा कर के पोषक उतारी gayee
Mere जिस्म पे फूंकी मश्क हुयी और आग कला कहते कहते संग ऐ मर्मर में जकड़ी gayee
uf कितनी तरह पकड़ी गयी
बतलाये koi Kitni गिरह खोली है मैंने, कितनी गिरह अब बाकी hai
Singer :Mitaali mukharji
Lyrics : Guljar
Thursday, November 26, 2009
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