जब लगे जख्म तो कातिल को दुआ जाए
है यही रश्म तो ये रश्म उठा दी जाए
जब लगे जख्म तो कातिल को दुआ जाए
हम ने इंसानो के दुःख दर्द का हल ढूँढ लिया
क्या बुरा है जो ये अफवाह उदा दी जाए
जब लगे जख्म तो कातिल को दुआ जाए
हमको गुज़री हुयी सदिया तो न पहचानेगी
आने वाले किसी लम्हे को सदा दी जाए
जब लगे जख्म तो कातिल को दुआ जाए
हम से पूंछो की ग़जल क्या है ग़जल का फन क्या
चंद लफ्जो में कोई आग छुपा दी जाए
जब लगे जख्म तो कातिल को दुआ जाए
है यही रश्म तो ये रश्म उठा दी जाए
Singer :Ashok khosla
Lyrics : Jannisaar Akhtar
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